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गुरुवार, अगस्त 28, 2014

गणेश पूजन हेतु शुभ मुहूर्त (29 अगस्त 2014) 29 August 2014 Auspicious Time For Ganesh poojan


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 गणेश पूजन हेतु शुभ मुहूर्त (29 अगस्त 2014)
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (अगस्त-2014)
वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार ब्रह्मांड में समय अनंत आकाश के अतिरिक्त समस्त वस्तुएं मर्यादा युक्त हैं। जिस प्रकार समय का ही कोई प्रारंभ है ही कोई अंत है। अनंत आकाश की भी समय की तरह कोई मर्यादा नहीं है। इसका कहीं भी प्रारंभ या अंत नहींहोता। आधुनिक मानव ने इन दोनों तत्वों को हमेशा समझने का अपने अनुसार इनमें भ्रमण करने का प्रयास किया हैं परन्तु उसे सफलता प्राप्त नहीं हुई है।
सामान्यतः मुहूर्त का अर्थ है किसी भी कार्य को करने के लिए सबसे शुभ समय तिथि चयन करना। कार्य पूर्णतः फलदायक हो इसके लि, समस्त ग्रहों अन्य ज्योतिष तत्वों का तेज इस प्रकार केन्द्रित किया जाता है कि वे दुष्प्रभावों को विफल कर देते हैं। वे मनुष्य की जन्म कुण्डली की समस्त बाधाओं को हटाने में दुर्योगो को दबाने या घटाने में सहायक होते हैं।
शुभ मुहूर्त ग्रहो का ऎसा अनूठा संगम है कि वह कार्य करने वाले व्यक्ति को पूर्णतः सफलता की ओर अग्रस्त कर देता है।
हिन्दू धर्म में शुभ कार्य केवल शुभ मुहूर्त देखकर किए जाने का विधान हैं। इसी विधान के अनुसार श्रीगणेश चतुर्थी के दिन भगवान श्रीगणेश की स्थापना के श्रेष्ठ मुहूर्त आपकी अनुकूलता हेतु दर्शाने का प्रयास किया जा रहा हैं। हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार शुभ मुहूर्त देखकर किए गए कार्य निश्चित शुभ सफलता देने वाले होते हैं।
श्रीगणेश चतुर्थी के लिये (29 अगस्त 2013 शुक्रवार)

  • प्रातः 05:58 से 07.28 तक चल
  • सुबह 07.28 से 08.58 तक लाभ
  • सुबह 08.58  से 10.28 तक अमृत
  • दोपहर 11.58 से 01.28 तक शुभ
  • दोपहर 04.28 से 05.58 तक चल


स्थिर लग्न इष्ट पूजन हेतु सर्वश्रेष्ठ माना जाता हैं 29 अगस्त को स्थिर लग्न
  • सिंह लग्न प्रातः 05:58:00 से सुबह 07:25:21 तक रहेगा।
  • तुला लग्न सुबह 09:41:42 से दोपहर 12:01:12 तक रहेगा।
  • वृश्चिक लग्न दोपहर 12:01:12 से दोपहर 02:19:48 तक रहेगा। 

अतः गणेश जी का पूजन करते समय यदि शुभ तिथि एवं लग्न का संयोग किया जाते तो यह अत्यंत शुभ फलप्रदायक होता हैं।
 विशेष: विद्वानों के मतानुशार स्थिर लग्न वृश्चिक में  करना शुभ होता हैं। जिस में भगवान श्रीगणेश प्रतिमा की स्थापना की जा सकती हैं। जानकारों का मानना हैं की गणेश चतुर्थी दोपहर में होने के कारण इसे महागणपति चतुर्थी भी कहां जायेगा।
क्योंकि ज्योतिष के अनुशार वृश्चिक स्थिर लग्न हैं। स्थिर लग्न में किया गया कोई भी शुभ कार्य स्थाई होता हैं।

  • विद्वानो के मतानुशार शुभ प्रारंभ यानि आधा कार्य स्वतः पूर्ण।