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बुधवार, सितंबर 28, 2011

शारदीय नवरात्र व्रत से सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं।

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शारदीय नवरात्र व्रत से सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (अक्टूबर-2011)
नवरात्र को शक्ति की उपासना का महापर्व माना गया हैं। मार्कण्डेयपुराण के अनुशार देवी माहात्म्य में स्वयं मां जगदम्बा का वचन हैं-। Post By : GURUTVA KARYALAY, GURUTVA JYOTISH

शरत्काले महापूजा क्रियतेया चवार्षिकी।
तस्यांममैतन्माहात्म्यंश्रुत्वाभक्तिसमन्वित:
सर्वाबाधाविनिर्मुक्तोधनधान्यसुतान्वित: 
मनुष्योमत्प्रसादेनभविष्यतिन संशय:॥ Post By : GURUTVA KARYALAY, GURUTVA JYOTISH

अर्थातः शरद ऋतु के नवरात्रमें जब मेरी वार्षिक महापूजा होती हैं, उस काल में जो मनुष्य मेरे माहात्म्य (दुर्गासप्तशती) को भक्तिपूर्वकसुनेगा, वह मनुष्य मेरे प्रसाद से सब बाधाओं से मुक्त होकर धन-धान्य एवं पुत्र से सम्पन्न हो जायेगा। Post By : GURUTVA KARYALAY, GURUTVA JYOTISH
नवरात्र में दुर्गासप्तशती को पढने या सुनने से देवी अत्यन्त प्रसन्न होती हैं एसा शास्त्रोक्त वचन हैं।  सप्तशती का पाठ उसकी मूल भाषा संस्कृत में करने पर ही पूर्ण प्रभावी होता हैं। Post By : GURUTVA KARYALAY, GURUTVA JYOTISH
व्यक्ति को श्रीदुर्गासप्तशती को भगवती दुर्गा का ही स्वरूप समझना चाहिए। पाठ करने से पूर्व श्रीदुर्गासप्तशती कि पुस्तक का इस मंत्र से पंचोपचारपूजन करेंPost By : GURUTVA KARYALAY, GURUTVA JYOTISH
नमोदेव्यैमहादेव्यैशिवायैसततंनम: नम:प्रकृत्यैभद्रायैनियता:प्रणता:स्मताम्॥ 
जो व्यक्ति दुर्गासप्तशतीके मूल संस्कृत में पाठ करने में असमर्थ हों तो उस व्यक्ति को सप्तश्लोकी दुर्गा को पढने से लाभ प्राप्त होता हैं। क्योकि सात श्लोकों वाले इस स्तोत्र में श्रीदुर्गासप्तशती का सार समाया हुवा हैं।
जो व्यक्ति सप्तश्लोकी दुर्गा का भी कर सके वह केवल नर्वाण मंत्र का अधिकाधिक जप करें।
देवी के पूजन के समय इस मंत्र का जप करे।
जयन्ती मङ्गलाकाली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधानमोऽस्तुते॥
देवी से प्रार्थना करें-

विधेहिदेवि कल्याणंविधेहिपरमां -श्रियम्।रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥
अर्थातः हे देवि! आप मेरा कल्याण करो। मुझे श्रेष्ठ सम्पत्ति प्रदान करो। मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और मेरे काम-क्रोध इत्यादि शत्रुओं का नाश करो।

विद्वानो के मतानुशार सम्पूर्ण नवरात्रव्रत का पालन करने में जो लोगों असमर्थ हो वह नवरात्र के सात रात्री,पांच रात्री, दों रात्री और एक रात्री का व्रत करके भी विशेष लाभ प्राप्त कर सकते हैं। नवरात्र में नवदुर्गा की उपासना करने से नवग्रहों का प्रकोप स्वतः शांत हो जाता हैं।

>> गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (अक्टूबर -2011)

OCT-2011
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