Search

Shop Our products Online @

www.gurutvakaryalay.com

www.gurutvakaryalay.in


शनिवार, मार्च 19, 2011

श्रीकृष्ण –पूतनावध (होली से जुड़ी पौराणिक कथा-भाग:3)

राधा-कृष्ण, राधा-क्रिष्ण, श्री कृष्ण -पूतनावध, क्रिष्ण -पुतनावध, શ્રી કૃષ્ણ -પૂતનાવધ, ક્રિષ્ણ -પુતનાવધ, ಶ್ರೀ ಕೃಷ್ಣ -ಪೂತನಾವಧ, ಕ್ರಿಷ್ಣ -ಪುತನಾವಧ, ஶ்ரீ க்ருஷ்ண -பூதநாவத, க்ரிஷ்ண -புதநாவத, శ్రీ కృష్ణ -పూతనావధ, క్రిష్ణ -పుతనావధ, ശ്രീ കൃഷ്ണ -പൂതനാവധ, ക്രിഷ്ണ -പുതനാവധ, ਸ਼੍ਰੀ ਕ੍ਰੁਸ਼੍ਣ -ਪੂਤਨਾਵਧ, ਕ੍ਰਿਸ਼੍ਣ -ਪੁਤਨਾਵਧ, শ্রী কৃষ্ণ -পূতনাৱধ, ক্রিষ্ণ -পুতনাৱধ, ଶ୍ରୀ କୃଷ୍ଣ -ପୂତନାଵଧ, କ୍ରିଷ୍ଣ -ପୁତନାଵଧ, SrI kRuShN -pUtanAvadh, kriShN -putanAvadh, the story of Krishna Putono slaughter, story of Krishna Putono kill, story of Krishna Putono killingરાધા-કૃષ્ણ, રાધા-ક્રિષ્ણ, ರಾಧಾ-ಕೃಷ್ಣ, ರಾಧಾ-ಕ್ರಿಷ್ಣ, రాధా-కృష్ణ, రాధా-క్రిష్ణ, ராதா-க்ருஷ்ண, ராதா-க்ரிஷ்ண, രാധാ-കൃഷ്ണ, രാധാ-ക്രിഷ്ണ, ਰਾਧਾ-ਕ੍ਰੁਸ਼੍ਣ, ਰਾਧਾ-ਕ੍ਰਿਸ਼੍ਣ, রাধা-কৃষ্ণ, রাধা-ক্রিষ্ণ, ରାଧା-କୃଷ୍ଣ, ରାଧା-କ୍ରିଷ୍ଣ, rAdhA-kRuShN, rAdhA-kriShN,
होली पौराणिक कथा, होळी पौराणिक कथा, હોલી પૌરાણિક કથા, હોળી પૌરાણિક કથા, ಹೋಲೀ ಪೌರಾಣಿಕ ಕಥಾ, ಹೋಳೀ ಪೌರಾಣಿಕ ಕಥಾ, ஹோலீ பௌராணிக கதா, ஹோளீ பௌராணிக கதா, హోలీ పౌరాణిక కథా, హోళీ పౌరాణిక కథా, ഹോലീ പൗരാണിക കഥാ, ഹോളീ പൗരാണിക കഥാ, ਹੋਲੀ ਪੌਰਾਣਿਕ ਕਥਾ, ਹੋਲ਼ੀ ਪੌਰਾਣਿਕ ਕਥਾ, হোলী পৌরাণিক কথা, হোলী পৌরাণিক কথা, holI paurANik kathA, holI paurANik kathA, ହୋଲୀ ପୌରାଣିକ କଥା, ହୋଳୀ ପୌରାଣିକ କଥା,
Hindi mythology story of the Holy Part:3 , Holi's legendary story, The Holy's legendary story, Festival of colors's legendary story, Holi's mythical story, Holi's the legendary story, Holi's mythology story, Holi's mythical story, the mythical story of Holi,
होली २०११, होळी २०११, होलि २०११, होळि २०११, હોલી ૨૦૧૧, હોળી ૨૦૧૧, હોલિ ૨૦૧૧, હોળિ ૨૦૧૧, ಹೋಲೀ ೨೦೧೧, ಹೋಳೀ ೨೦೧೧, ಹೋಲಿ ೨೦೧೧, ಹೋಳಿ ೨೦೧೧, ஹோலீ ௨0௧௧, ஹோளீ ௨0௧௧, ஹோலி ௨0௧௧, ஹோளி ௨0௧௧, హోలీ ౨౦౧౧, హోళీ ౨౦౧౧, హోలి ౨౦౧౧, హోళి ౨౦౧౧, ഹോലീ ൨൦൧൧, ഹോളീ ൨൦൧൧, ഹോലി ൨൦൧൧, ഹോളി ൨൦൧൧, ਹੋਲੀ ੨੦੧੧, ਹੋਲ਼ੀ ੨੦੧੧, ਹੋਲਿ ੨੦੧੧, ਹੋਲ਼ਿ ੨੦੧੧, হোলী ২০১১, হোলী ২০১১, হোলি ২০১১, হোলি ২০১১, ହୋଲି-୨୦୧୧, ହୋଲୀ-୨୦୧୧, ହୋଳି-୨୦୧୧, ହୋଳୀ-୨୦୧୧, holI 2011, hoLI 2011, holi 2011, hoLi 2011,

श्रीकृष्ण –पूतनावध (होली से जुड़ी पौराणिक कथा-भाग:3)

श्रीकृष्ण-पूतनावध:
पूराणिक कथा के अनुशार जब कंस को आकाशवाणी द्वारा पता चला कि वासुदेव और देवकी के आठवें पुत्र से उसका विनाशक होगा। तब कंस ने वसुदेव तथा देवकी को कारागार में डाल दिया। कारागार में देवकी ने सात पुत्रों को जन्म दिया जिसे कंस ने मार दिया। देवकी के गर्भ में आठवें पुत्र के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ।

वासुदेव ने रात में ही श्रीकृष्ण को गोकुल में नंद और यशोदा के यहां पहुंचा दिया और उनकी नवजात कन्या को अपने साथ लेते आए। कंस उस कन्या को मार नहीं सका। तब आकाशवाणी हुई कि कंस को मारने वाले तो गोकुल में जन्म ले चुका है। अब कंस ने उस दिन गोकुल में जन्मे सभी शिशुओं की हत्या करने का काम राक्षसी पूतना को सौंपा। वह सुंदर नारी का रूप बनाकर शिशुओं को विष का स्तनपान कराने गई। लेकिन श्रीकृष्ण ने राक्षसी पूतना का वध कर दिया। यह फाल्गुन पूर्णिमा का दिन था अत: पूतनावध की खुशी में होली मनाई जाने लगी।
राधा और श्रीकृष्ण:
होली का त्यौहार राधा और श्रीकृष्ण की पवित्र प्रेम के रुप में भी मनाया जाता है। प्राचिन काल से श्रीकृष्ण की लीला में एक-दूसरे पर रंग डालने की प्रथा चली आरही हैं। इस लिये आज भी मथुरा और वृन्दावन की होली राधा और श्रीकृष्ण के प्रेम रंग में डूबी हुई प्रतित होती है। आज भी बरसाने और नंदगाँव में लठमार होली होती हैं जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं।
इससे जुडे अन्य लेख पढें (Read Related Article)


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें