Search

Shop Our products Online @

www.gurutvakaryalay.com

www.gurutvakaryalay.in


गुरुवार, अक्तूबर 07, 2010

नवदुर्गा और ज्योतिष

मां नवदुर्गा और ज्योतिष. नवरात्र और ज्योतिष, नवरात्रि और ज्योतिष, नवरात्र एवं ज्योतिष नवदूर्गा और ज्योतिष, नवग्रह और नवरात्र, नवरात्री एवं नवग्रह, astrology or navaratra, navaratri evm astrology, navaratri or jyotish, navadurga jyotish, nav durga jyotish, navaratree and navagraha,

नवदुर्गा और ज्योतिष



दुर्गा पूजा शक्ति उपासना का महापर्व हैं। शारदीय नवरात्र के दिनो में ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए मां दुर्गा की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

शक्ति एवं भक्ति के साथ सांसारिक सुखों को देने के लिए वर्तमान समय में यदि कोई देवता है। तो वह एक मात्र देवी दुर्गा ही हैं। सामान्यतया समस्त देवी-देवता ही पूजा का अच्छा परिणाम देते हैं।

हमारे धर्म शास्त्रों के अनुशार:

'कलौ चण्डी विनायकौ’

अर्थातः कलियुग में दुर्गा एवं गणेश हि पूर्ण एवं तत्काल फल देने वाले हैं।


तांत्रिक ग्रन्थों के अनुशार:

नौरत्नचण्डीखेटाश्च जाता निधिनाह्ढवाप्तोह्ढवगुण्ठ देव्या।

अर्थातः नौ रत्न, नौ ग्रहों कि पीड़ा से मुक्ति, नौ निधि कि प्राप्ति, नौ दुर्गा के अनुष्ठान से सर्वथा सम्भव है। इसका तत्पर्य हैं कि नवदुर्गा नवग्रहों के लिए ही प्रवर्तित हुईं हैं।


ज्योतिष कि द्रष्टी में नवग्रह संबंधित पीड़ा एवं दैवी आपदाओं से मुक्ति प्राप्त करने का सरल साधन देवी कि आराधना हैं। यदि जन्म कुंडली में चंडाल योग, दरिद्र योग, ग्रहण योग, विष योग, कालसर्प एवं मांगलिक दोष, एवं अन्यान्य योग अथवा दोष एसे हैं, जिस्से व्यक्ति जीवन भर अथक परिश्रम करने के उपरांत भी दुःख भोगता रहता हैं। जिसकी शांति

संभवतः अन्य किसी पूजा, अर्चना, साधना, रत्न एवं अन्य उपायो से सरलता से नहीं होती हैं। अथवा पूर्ण ग्रह पीडाए शांत नहीं हो पाती हैं। एसी स्थिती में आदि शक्ति मां भगवती दुर्गा के नव रुपो कि आराधना से व्यक्ति सरलता से विशेष लाभ प्राप्त कर सकता हैं।

भगवान राम ने भी इसके प्रभाव से प्रभावित होकर अपनी दश अथवा आठ नहीं बल्कि नवधा भक्ति का ही उपदेश दिया है। अनादि काल से कि देवता, दानव, असुरों से लेकर मनुष्यों में किसी भी प्रकारका संकट होने पर

समस्त लोक में मां दुर्गा कि अराधना करने का प्रचलन चला आरहा हैं। क्योकि मां दुर्गा ने सभी देव-दानव-असुर-मनुष्य सभी प्राणी मात्र का उद्धार किया हैं।

इसलिये किसी भी प्रकार के जादू-टोना, रोग, भय, भूत, पिशाच्च, डाकिनी, शाकिनी आदि से मुक्ति कि प्राप्ति के लिये मां दुर्गा कि विधि-विधान से पूजा-अर्चना सर्वदा फलदायक रहीं है।

दुर्गा दुखों का नाश करने वाली हैं। इसलिए नवरात्रि के दिनो में जब उनकी पूजा पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से कि जाती हैं, तो मां दुर्गा कि प्रमुख नौ शक्तियाँ जाग्रत हो जाती हैं, जिससे नवों ग्रहों को नियंत्रित करती हैं, जिससे ग्रहों से प्राप्त होने वाले अनिष्ट प्रभाव से रक्षा होकर ग्रह जनीत पीडाएं शांत हो जाती हैं।

दुर्गा कि नव शक्ति को जाग्रत करने हेतु शास्त्रों में नवार्ण मंत्र का जाप करने का विधान हैं।

नव का अर्थात नौ एवं अर्ण का अर्थात अक्षर होता हैं। (नव+अर्ण= नवार्ण) इसी कारण नवार्ण नव अक्षरों वाला प्रभावी मंत्र हैं।


नवार्ण मंत्र

ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे

नव अक्षरों वाले इस अद्भुत नवार्ण मंत्र के हर अक्षर में देवी दुर्गा कि एक-एक शक्ति समायी हुई हैं, जिस का संबंध एक-एक ग्रहों से हैं।
1. नवार्ण मंत्र का प्रथम बीज मंत्र ऐं हैं, ऐं से प्रथम नवरात्र को दुर्गा कि प्रथम शक्ति शैल पुत्री कि उपासना कि जाती हैं। जिस में सूर्य ग्रह को नियंत्रित करने वाली शक्ति समाई हुई हैं।

2. नवार्ण मंत्र का द्वितीय बीज मंत्र ह्रीं हैं, ह्रीं से दूसरे नवरात्र को दुर्गा कि द्वितीय शक्ति ब्रह्मचारिणी कि उपासना कि जाती हैं। जिस में चंद्र ग्रह को नियंत्रित करने वाली शक्ति समाई हुई हैं।

3. नवार्ण मंत्र का तृतीय बीज मंत्र क्लीं हैं, क्लीं से तीसरे नवरात्र को दुर्गा कि तृतीय शक्ति चंद्रघंटा कि उपासना कि जाती हैं। जिस में मंगल ग्रह को नियंत्रित करने वाली शक्ति समाई हुई हैं।

4. नवार्ण मंत्र का चतुर्थ बीज मंत्र चा हैं, चा से चौथे नवरात्र को दुर्गा कि चतुर्थ शक्ति कूष्माण्डा कि उपासना कि जाती हैं। जिस में बुध ग्रह को नियंत्रित करने वाली शक्ति समाई हुई हैं।

5. नवार्ण मंत्र का पंचम बीज मंत्र मुं हैं, मुं से पाँचवे नवरात्र को दुर्गा कि पंचम शक्ति स्कंदमाता कि उपासना कि जाती हैं। जिस में बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करने वाली शक्ति समाई हुई हैं।

6. नवार्ण मंत्र का षष्ठ बीज मंत्र डा हैं, डा से छठे नवरात्र को दुर्गा कि छठी शक्ति कात्यायनी कि उपासना कि जाती हैं। जिस में शुक्र ग्रह को नियंत्रित करने वाली शक्ति समाई हुई हैं।

7. नवार्ण मंत्र का सप्तम बीज मंत्र यै हैं, यै से सातवें नवरात्र को दुर्गा कि सप्तम शक्ति कालरात्रि कि उपासना कि जाती हैं। जिस में शनि ग्रह को नियंत्रित करने वाली शक्ति समाई हुई हैं।

8. नवार्ण मंत्र का अष्टम बीज मंत्र वि हैं, वि से आठवें नवरात्र को दुर्गा कि अष्टम शक्ति महागौरी कि उपासना कि जाती हैं। जिस में राहु ग्रह को नियंत्रित करने वाली शक्ति समाई हुई हैं।

9. नवार्ण मंत्र का नवम बीज मंत्र चै हैं, चै से नवमें नवरात्र को दुर्गा कि नवम शक्ति सिद्धिदात्री कि उपासना कि जाती हैं। जिस में केतु ग्रह को नियंत्रित करने वाली शक्ति समाई हुई हैं।

इस नवार्ण मंत्र दुर्गा कि नवो शक्तियाँ व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार कि प्राप्ति में भी सहायक सिद्ध होती हैं।



जप विधान
प्रतिदिन स्नान इत्यादिसे शुद्ध होकर नवार्ण मंत्र का जाप 108 दाने कि माला से कम से कम तीन माला जाप अवश्य करना चाहिए।



दुर्गा सप्तशती के अनुशार
नवार्ण मंत्र के नौ अक्षरों मंत्र के पहले ॐ अक्षर जोड़कर भी कर सकते हैं ॐ लगाने से भी यह नवार्ण मंत्र के समान हि फलदायक सिद्ध होता हैं। इसमें लेस मात्र भी संदेह नहीं हैं। अतः मां भगवती दुर्गा कि कृपा प्राप्ति एवं नवग्रहो के दुष्प्रभावो से रक्षा प्राप्ति हेतु नवार्ण मंत्र का जाप पूर्ण निष्ठा एवं श्रद्धा से कर सकते हैं।

इससे जुडे अन्य लेख पढें (Read Related Article)


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें