Search

Shop Our products Online @

www.gurutvakaryalay.com

www.gurutvakaryalay.in


गुरुवार, फ़रवरी 11, 2010

लिंगाष्टकम

LingaShtakam, Linga Ashtakam

लिंगाष्टकम

ब्रह्ममुरारिसुरार्चित लिगं निर्मलभाषितशोभित लिंग।
जन्मजदुःखविनाशक लिंग तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥१॥

देवमुनिप्रवरार्चित लिंगं, कामदहं करुणाकर लिंगं।
रावणदर्पविनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥२॥

सर्वसुगंन्धिसुलेपित लिंगं, बुद्धिविवर्धनकारण लिंगं।
सिद्धसुरासुरवन्दित लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥३॥

कनकमहामणिभूषित लिंगं, फणिपतिवेष्टितशोभित लिंगं।
दक्षसुयज्ञविनाशन लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥४॥

कुंकुमचंदनलेपित लिंगं, पंङ्कजहारसुशोभित लिंगं।
संञ्चितपापविनाशिन लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥५॥

देवगणार्चितसेवित लिंग, भवैर्भक्तिभिरेवच लिंगं।
दिनकरकोटिप्रभाकर लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥६॥

अष्टदलोपरिवेष्टित लिंगं, सर्वसमुद्भवकारण लिंगं।
अष्टदरिद्रविनाशित लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥७॥

सुरगुरूसुरवरपूजित लिंगं, सुरवनपुष्पसदार्चित लिंगं।
परात्परं परमात्मक लिंगं, ततप्रणमामि सदाशिव लिंगं॥८॥
इससे जुडे अन्य लेख पढें (Read Related Article)


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें